Mehgwal Youth Power

Mehgwal Youth Power
Jara Soch Ke to Dekho....

Tuesday, January 25, 2011

on Republic day.....




हमें अपने गणतंत्र से कई शिकायतें हैं। मसलन, हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है। गरीबी और गैर-बराबरी है। देश की एक बहुत बड़ी आबादी की बुनियादी जरूरतें आज भी पूरी नहीं की जा सकी हैं। ये सारी बातें अपनी जगह वाजिब हैं। लेकिन अगर हम अपने नजरिए को थोड़ा फैलाएं, सारी दुनिया पर गौर करें और उन मुश्किल हालात को याद करें, जहां से हमने यात्रा शुरू की थी, तो शायद हमें खुद को उतना कोसने की जरूरत महसूस नहीं होगी।

अगर हम याद करें कि आज जिन बहुत-सी बातों को हम तयशुदा मानते हैं, वो 1947 में उतनी निश्चित नहीं थीं। मसलन, भारत अपनी एकता और अखंडता को कायम रख सकेगा, यहां एक स्थिर व्यवस्था बन सकेगी और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र का पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल तैयार हो सकेगा, इन सबका तब सिर्फ सपना ही देखा जा सकता था। लेकिन आज ये सब हमारे सामने साकार रूप में मौजूद हैं। इस गणतंत्र के पूर्वजों ने जिस वैज्ञानिक और आर्थिक संरचना की नींव डाली, उसकी बदौलत भारत आज दुनिया की एक उभरती हुई आर्थिक ताकत है।

जाहिर है, समस्याएं अभी और भी हैं। बल्कि गंभीर समस्याएं हैं। कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे अक्सर हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। लेकिन यहां गौर करने की बात यह है कि इनमें से बहुत-सी समस्याएं हमारी पुरातन व्यवस्था और लंबी गुलामी का परिणाम हैं। इनका संबंध हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक विकासक्रम के स्तर से है।

दुनिया का कोई समाज इस संदर्भ से कटकर विकास नहीं कर पाया है। हम भी अपनी समस्याओं से उलझते हुए उनका समाधान ढूंढ़ने और प्रगति एवं विकास का रास्ता बनाने की जद्दोजहद में हैं और कामयाबी भी पा रहे हैं। इसलिए शिकायतें अपनी जगह भले सही हों, लेकिन खुद और अपने गणतंत्र पर गर्व करने की भी हमारे पास पर्याप्त वजहें हैं।
wish you Happy repulic day

Thursday, January 20, 2011

A short story of .........................


बाबा साहेब अम्बेडकर जी जब विदेश में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब उनकी धर्मं पत्नी माता रमा बाई अम्बेडकर ने उनको एक पत्र लिखा था जिसमे कहा गया था की है बाबा साहेब अम्बेडकर मै ये पत्र रोते हुए लिख रही हु की आपका बेटा और मै गंभीर रूप से बीमार है तथा में मजदूरी करने भी नहीं जा सकती क्योकि में बहुत बीमार हु इसलिए है बाबा साहेब तू वापस भारत लौट आओ क्योकि घर में खाने पिने का सामान भी नहीं है और दवाई लेन के लिए हमारे पास पैसे भी नहीं है ये पत्र जब रमा बाई लिख रही थी तो उनकी आँखों में से आंसू उस पत्र पर गिर रहे थे तब साथियों वो पत्र बाबा साहेब को विदेश में मिला तो उन्होंने उस पत्र को पढ़ा तो वो बिलकुल भी विचलित नहीं हुए और उन्होंने वापस जबाबी पत्र में लिखा था की है प्रिय रमा मै इस विदेश में इसलिए आया हु की मेरे समाज और इस देश के गरीब और दलित समाज के लोगो को मन और सम्मान दिलाने तथा हजारो सालो से चली आ रही देश में गुलामी को मिटानेके लिए यहाँ पर अध्धयन कर रहा हु
अगर बीमारी से तुम और मेरा बच्चा भी मर जायेंगे तो मुझे कोई गम नहीं होगा क्योकि अगर में घर आ गया तो इस देश के गरीब कभी आजाद नहीं हो सकते
साथियों जिन बाबा साहेब ने इन ८५ % बहुजन समाज के लिए इतनी बड़ी क़ुरबानी कर दी जिसकेकारन आज हम इस देश में मन और सम्मान से जीवन गुज़ार रहे है
बाबा साहेब ने इस देश के ८५ % गरीब और दलितों को लायक बना दिया मगर साथियों बड़े दुःख की बात है की  हम इतने नालायक पैदा हो गए जो किसी को भी लायक नहीं बना रहे है
साथियों हम लोग रंगीन टीवी रंगीन बीबी रंगीन दुनिया में मस्त हो गए और समाज के लिए कुछ भी नहीं कर रहे है


आप लोगो से निवेदन है की इस समाज के अन्दर सामाजिक क्रांति पैदा करो इन्कलाब पैदा करो तभी बाबा साहेब के सपनो को पूरा किया जा सकता है
    जो भरा नहीं है भावो से , बहती जिसमे रसधार नहीं !
      वो दलित नहीं मनुवादी है , जिनको जय भीम से प्यार नहीं !!
जय भीम जय कांशीराम नमोह बुद्धाय


Thursday, January 6, 2011

about me and ur responce..............

First of all thank you to all of you respected persons.actually i'm student and i belong from a small village in sikar district(Rajasthan).i also want to join this meghwal communicaty megh chetna(and others)........pls any one of all the commete member wuld like to tell me that waht should i do...and how can i join thiese type of communites..........i want to do any new in our area for meghwal samaj............
                                                                            pls help me.....
                                                                                         Thanks to All my respected Sir.....................