साथियों मान्यवर कांशीराम साहेब एक बहुत बड़े महान वैज्ञानिक थे और पूना में खोज करते थे और उनके पास लाल बत्ती की एक गाड़ी थी सरकारी बोडिगार्ड थे और अच्छी सेलरी थी एक दिन मान्यवर कांशीराम साहेब ऑफिस से घर जा रहे थे तब रस्ते में उन्होंने अजीब घटना देखी एक बहुत बड़े मकान के दरवाजे पर मकान मालिक की पत्नी रात का बचा हुआ भोजन मकान के बाहर की चोकी पर कुत्तो को दे रही थी कुत्ते उस भोजन को खाने लगे तब पास में दुबले पतले तन पे फटे हुए कपडे पहने हुए कुछ लड़के हाथ में पत्थर लेकर खड़े थे
तो मान्यवर साहेब ने देखा की वो लड़के कुत्तो को पत्थर मारकर वो भोजन बच्चे खुद खा रहे थे तब मान्यवर कांशीराम जी ने गाड़ी रोककर बच्चो से पुछा की तुम कोन हो तब बच्चो ने कहा हम गरीब है फिर साहेब आगे चले तो एक घटना और देखी की कुछ नवयुवतिया अपने हाथ में दीपक लेकर रोड के किनारे खड़ी थी और वो अपने ग्राहक का इंतजार कर रही थी इतने में साहेब की गाड़ी उनके पास रोकी और साहेब ने ड्राईवर से पुछा की ये कोन है और ये दीपक लेकर क्यों खड़ी है ड्राईवर ने कहा मेरे को तो मालूम नहीं है साहेब तो साहेब ने गाड़ी से निचे उतरे तो वो लडकिया खुश हुई की कोई ग्राहक आ गया है तो साहेब ने उनसे पुछा की तुम कोन हो और यहाँ क्या कर रही हो तो और ये हाथ में दीपक क्यों है तो लडकिया बोली साहेब हम तो वेश्या है और ये दीपक हमारी पहचान है साहेब ने जब उनसे जाती का पुछा तब उन्होंने कहा की हम दलित समाज की लडकिया है हम अपना बदन बेचकर अपना घर परिवार पालते है तब साहेब गाड़ी में बेठे और बहुत दुखी हुए और आगे चले और एक होटल पर उतरे और वहा पे चिकिंजी का ग्लास मंगवाया चिक्न्जी वाले ने निम्बू निचोड़ के छिलका फेंका तो वो चिल्का साहेब के आगे आकर गिरा तब मान्यवर कांशीराम साहेब ने छिलके को उठाया और कहा की इस देश के मनुवादी और सामंतवादियो ने हमारे समाज के लोगो को इस निम्बू के छिलके की तरह निचोड़ दिया है तब साहेब ने उस छिलके को निचोड़ा तो उस में से कुछ थोडा सा रस बाहेर आया तब साहेब ने सोच्चा की इस समाज में कुछ जान तो है तब साहेब वह से घर गए और रात भर सोच्चते रहे और सुबह उठकरउन्होंने एक कागज कलम लेकर साहेब ने देश के राष्ट्रपति को कागज लिखा की में इस देश की घटिया सरकार की नोकरी नहीं करूँगा जिस देश में गरीब लोगो को कुत्तो का भोजन खाना पड़े और गरीबो को अपनी इज्जत बेचकर अपना घर चलाना पड़े उस सरकार की में नोकरी नहीं करूँगा और शादी भी नहीं करूँगा और मेरे नाम की एक रूपये की भी सम्पति नहीं होगी इस देश का bahujan समाज mera parivar ho itni sab bato का pran baba साहेब dr. ambedker की murti के samne कहा की baba tera misson adhura कांशीराम karega poora
sanvidhan के samman में
कांशीराम maidan में
कांशीराम teri naik kamai
aapne soti kom jagai
कांसीराम teri soch पे pahera denge thok के
mai तो chala था jane bemanjil akela लोग judhte रहे और karwa badhata गया साथियों साहेब ने itna tyag कर के uttar prdesh में dalito के हाथ में raj dekar sadhdha sadha के liye amar हो गए ese महान लोगो को sat sat naman
और उनके adhure mission को poora karane में madad kare और BSP का sath दे
JAI BHEEM JAI BHARAT JAI KANSHIRAM SAHEB
तो मान्यवर साहेब ने देखा की वो लड़के कुत्तो को पत्थर मारकर वो भोजन बच्चे खुद खा रहे थे तब मान्यवर कांशीराम जी ने गाड़ी रोककर बच्चो से पुछा की तुम कोन हो तब बच्चो ने कहा हम गरीब है फिर साहेब आगे चले तो एक घटना और देखी की कुछ नवयुवतिया अपने हाथ में दीपक लेकर रोड के किनारे खड़ी थी और वो अपने ग्राहक का इंतजार कर रही थी इतने में साहेब की गाड़ी उनके पास रोकी और साहेब ने ड्राईवर से पुछा की ये कोन है और ये दीपक लेकर क्यों खड़ी है ड्राईवर ने कहा मेरे को तो मालूम नहीं है साहेब तो साहेब ने गाड़ी से निचे उतरे तो वो लडकिया खुश हुई की कोई ग्राहक आ गया है तो साहेब ने उनसे पुछा की तुम कोन हो और यहाँ क्या कर रही हो तो और ये हाथ में दीपक क्यों है तो लडकिया बोली साहेब हम तो वेश्या है और ये दीपक हमारी पहचान है साहेब ने जब उनसे जाती का पुछा तब उन्होंने कहा की हम दलित समाज की लडकिया है हम अपना बदन बेचकर अपना घर परिवार पालते है तब साहेब गाड़ी में बेठे और बहुत दुखी हुए और आगे चले और एक होटल पर उतरे और वहा पे चिकिंजी का ग्लास मंगवाया चिक्न्जी वाले ने निम्बू निचोड़ के छिलका फेंका तो वो चिल्का साहेब के आगे आकर गिरा तब मान्यवर कांशीराम साहेब ने छिलके को उठाया और कहा की इस देश के मनुवादी और सामंतवादियो ने हमारे समाज के लोगो को इस निम्बू के छिलके की तरह निचोड़ दिया है तब साहेब ने उस छिलके को निचोड़ा तो उस में से कुछ थोडा सा रस बाहेर आया तब साहेब ने सोच्चा की इस समाज में कुछ जान तो है तब साहेब वह से घर गए और रात भर सोच्चते रहे और सुबह उठकरउन्होंने एक कागज कलम लेकर साहेब ने देश के राष्ट्रपति को कागज लिखा की में इस देश की घटिया सरकार की नोकरी नहीं करूँगा जिस देश में गरीब लोगो को कुत्तो का भोजन खाना पड़े और गरीबो को अपनी इज्जत बेचकर अपना घर चलाना पड़े उस सरकार की में नोकरी नहीं करूँगा और शादी भी नहीं करूँगा और मेरे नाम की एक रूपये की भी सम्पति नहीं होगी इस देश का bahujan समाज mera parivar ho itni sab bato का pran baba साहेब dr. ambedker की murti के samne कहा की baba tera misson adhura कांशीराम karega poora
sanvidhan के samman में
कांशीराम maidan में
कांशीराम teri naik kamai
कांसीराम teri soch पे pahera denge thok के
mai तो chala था jane bemanjil akela लोग judhte रहे और karwa badhata गया साथियों साहेब ने itna tyag कर के uttar prdesh में dalito के हाथ में raj dekar sadhdha sadha के liye amar हो गए ese महान लोगो को sat sat naman
और उनके adhure mission को poora karane में madad kare और BSP का sath दे
JAI BHEEM JAI BHARAT JAI KANSHIRAM SAHEB
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